Monday, 8 June 2015

योगवाशिष्ठ ग्रन्थ को महारामायण के नाम से भी जाना जाता है क्यों कि इसमेें महर्षि वाशिष्ठ ने भगवान् श्री राम को जीवन विज्ञान और योग विज्ञान की शिक्षा दी है ।उसमें ये बताया है कि चिज्जड़ ग्रंथि के टूटने पर सभी चक्र जाग्रत हो जाते हैं ।चिज्जड़ यानि (चित्त + जड़) अर्थात् चेतना का जड़ से पृथकता का अनुभव होना ।यही बात योगदर्शन के विभुतिपाद में वर्णित की गयी है ।अब चेतना की जड़ता से पृथकता कैसे हो इसके लिए एक विधि है , जो लिपिबद्ध नहीं की जा सकती ।योग दर्शन की किसी भी जिज्ञासा के लिए आपका स्वागत है ।......by Dr. Surendra Nath Panch