Tuesday, 9 June 2015

@ शरीर से परे भी एक विज्ञान ------------------------------------- कर्म और भाग्य के सिद्धांत की बात प्राचीन काल से की जाती रही हैं और भगवान श्री कृष्ण द्वारा इसका विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है ।भाग्य और भगवान में मजबूत आस्था रखने के कारण एवं षडदर्शन और ज्योतिष विषय का अध्ययन और अध्यापन करने के कारण यह समझने का अवसर मिला कि हर व्यक्ति , समान कौशल होने के बाबजूद विभिन्न मोर्चों पर अलग - अलग प्रदर्शन करता है । क्रकेट की भाषा में इसे " इन - फॉर्म और आउट - ऑफ़ - फॉर्म " कहा जाता है ।ज्योतिष में यह प्रदर्शन "योग,गोचर - महादशा और अन्तर्दशा " पर निर्भर करता है ।इस बात को क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के उदाहरण से समझा जा सकता है ।रातोंरात " क्रकेट के भगवान" ने जब परिस्थितियों के सामने समर्पण किया तो जिन लोगों ने उन्हें भगवन बनाया था वही उनके सबसे बड़े आलोचक हो गए । एक ज्योतिषविद होने के नाते सचिन तेंदुलकर की जन्मकुंडली का अध्ययन किया और कुछ दिलचस्प नतीजे सामने आये । उनकी जन्मकुंडली में जहाँ एक ओर सूर्य -मंगल का योग और गजकेसरी जैसा असाधारण योग है, वहीं राहु - चन्द्र का नकारात्मक योग कमजोर शुक्र के साथ है । 1990 से 1996 के दौरान उन्होंने सभी विरोधियों के छक्के छुड़ा दिए और स्वयं व् देश के लिए गौरव हासिल किया और निरंतरता बनाये हुए एक ब्रांड बन गए । उनका कमजोर समय 2002 से 2006 के पूर्व तक रहा ।इसके पश्चात् सूर्य ने इनको फिर से प्रसिद्धि दिलाई । जून 2011 से रिटायरमेंट तक राहु - चन्द्र के चलते उनका भाग्य कमजोर हो गया । जैसा कि "कार्ल मार्क्स " ने कहा है कि इंसान अपना इतिहास स्वयं बनाता है, लेकिन वः इच्छा अनुसार नहीं बना सकता , वह चुनी हुई परिस्थति के अधीन भी नही बना सकता , बल्कि विरासत में मिली, पूर्व प्रदत्त, वर्तमान परिस्थितियों के अधीन बनाता है ।......Dr.Surendra Nath Panch